उन्होंने कहा कि मेरे पिता विकास पुरुष जीएस बाली हमेशा डॉक्टरों को भगवान के बाद का दर्जा देते थे। उनका मानना था कि एक मरीज जब डॉक्टर के पास जाता है, तो वह डॉक्टर को भगवान के समान ही मानता है। आरएस बाली ने यह भी कहा कि डॉक्टर बनने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन होती है। इसे प्राप्त करने के लिए वर्षों की पढ़ाई, मेहनत और धैर्य की आवश्यकता होती है।
आरएस बाली ने बताया कि डॉक्टर न केवल मरीजों का इलाज करते हैं, बल्कि उनके परिवारों को भी राहत प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि यह पेशा केवल पेशा नहीं, बल्कि तपस्या है। डॉक्टरों की जिम्मेदारी केवल मरीज का इलाज करना ही नहीं, बल्कि समाज को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना भी है।
उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने मेडिकल छात्रों की पढ़ाई और उनके विषयों को देखा है। उन्होंने खास तौर पर मेडिकल की किताबों का जिक्र करते हुए डॉक्टरों की मेहनत की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार और विभाग डॉक्टरों की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
डॉक्टरों की मांगों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा, स्टाफिंग, और संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं को प्राथमिकता पर सुलझा रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले चार-पांच महीनों में इन मुद्दों पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
आरएस बाली ने डॉक्टरों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे समाज के लिए अपने कार्य को जारी रखें और इसे अपनी साधना मानें। उन्होंने डॉक्टरों की मेहनत और उनके समर्पण को अद्वितीय बताया और कहा कि समाज और सरकार हमेशा उनके योगदान को सराहेगी।